000 01368cam a2200133ua 4500
082 _aH891.431
_bJAG/S
100 0 _aजगदीश गुप्त (Jagadish Gupta)
245 _aशम्बूक (Shambook)
260 _aAllehabad
_bLokbharati
_c2005
300 _a101p.
520 _aजगदीश गुप्त ने शबरी के जूठे बेरों का प्रसंग शायद इस सोच के साथ लिखा कि इससे राम को दलित चेतना से जोड़कर दलित वर्ग का मित्र बनाया जा सकता है। पर, यह किसी भी द्विज को दलित चेतना से जोड़कर दलित मित्र बनाने का बहुत ही भद्दा तरीका है। चुनावों के दौरान सवर्ण नेता दलितों के घर खाना खाने के नाटक अक्सर करते हैं, पर जूठन उनमें भी कोई नहीं खाता। जगदीश गुप्त के खंड काव्य ‘शंबूक’ का पुनर्पाठ कर रहे हैं कंवल भारती
650 0 _aHindi poems
942 _cBK
999 _c20239
_d20239