चेतना का एक अंतहीन महासागर: जीवन में बड़े प्रश्नों के सरल उत्तर One Ocean of Unbounded Conciousness
Material type: TextPublication details: Delhi KBD Pub 2023Edition: 2Description: xvii,294pISBN: 9788196026011DDC classification: H153 Summary: क्या जीवन में कोई छिपा उद्देश्य है? क्या इसका कोई एक गोपनीय डिजाइन या एक सार्थक तर्क है? क्या जीवन में एक लक्ष्य है, जिसे प्राप्त किया जाना है? हम कहाँ से आते हैं और जाने के बाद हम कहाँ जाते हैं? हमें जीवन में क्यों लडऩा चाहिए? क्या हम चुन सकते हैं? क्या हम स्वतंत्र हैं या नियति के दास हैं? हम क्या प्रकृति के नियमों के अधीन हैं या फिर ईश्वर के? उन संवेदनशील प्राणियों के लिए, जो अपने जीवन पर नियंत्रण रखना चाहते हैं, ये प्रश्न मौलिक हैं, और इनके विषय में हर कोई धारणा बना लेता है या उनमें से कई के बारे में दृढ़ता से विश्वास करते है। वे विश्वास हमारे अंतर्निहित 'ब्रह्मांड बन जाते हैं, जो हम जो कुछ भी करते हैं उसे प्रभावित करते हैं। मैंने यह ठीक से समझने के लिए चिकित्सा, मनोरोग और तंत्रिका विज्ञान के अध्ययन की ओर रुख किया। जब हम इतने समान हैं तो हम अपनी राय, मानसिकता और दृष्टिकोण में इतने भिन्न कैसे हो सकते हैं। मेरे मौलिक सवालों के उत्तर वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से अत्यंत जटिल और सारगर्भित थे। यह ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन टीएम था, जिसने मुझे विश्लेषण और अनुमान के बजाय प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से उनका पता लगाने की अनुमति दी। यह पुस्तक ज्ञान के सभी साधकों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, शिक्षकों, बुद्धिमान नेताओं और मार्गदर्शकों को समर्पित है, जो इस रहस्य का अध्ययन करते हैं कि प्रकृति कैसे काम करती है और प्रकृति कैसे पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती है?Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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BK | Kannur University Central Library Hindi | Stack | H153 NAD/C (Browse shelf (Opens below)) | Available | 68186 |
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क्या जीवन में कोई छिपा उद्देश्य है? क्या इसका कोई एक गोपनीय डिजाइन या एक सार्थक तर्क है? क्या जीवन में एक लक्ष्य है, जिसे प्राप्त किया जाना है? हम कहाँ से आते हैं और जाने के बाद हम कहाँ जाते हैं? हमें जीवन में क्यों लडऩा चाहिए? क्या हम चुन सकते हैं? क्या हम स्वतंत्र हैं या नियति के दास हैं? हम क्या प्रकृति के नियमों के अधीन हैं या फिर ईश्वर के? उन संवेदनशील प्राणियों के लिए, जो अपने जीवन पर नियंत्रण रखना चाहते हैं, ये प्रश्न मौलिक हैं, और इनके विषय में हर कोई धारणा बना लेता है या उनमें से कई के बारे में दृढ़ता से विश्वास करते है। वे विश्वास हमारे अंतर्निहित 'ब्रह्मांड बन जाते हैं, जो हम जो कुछ भी करते हैं उसे प्रभावित करते हैं। मैंने यह ठीक से समझने के लिए चिकित्सा, मनोरोग और तंत्रिका विज्ञान के अध्ययन की ओर रुख किया। जब हम इतने समान हैं तो हम अपनी राय, मानसिकता और दृष्टिकोण में इतने भिन्न कैसे हो सकते हैं। मेरे मौलिक सवालों के उत्तर वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से अत्यंत जटिल और सारगर्भित थे। यह ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन टीएम था, जिसने मुझे विश्लेषण और अनुमान के बजाय प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से उनका पता लगाने की अनुमति दी। यह पुस्तक ज्ञान के सभी साधकों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, शिक्षकों, बुद्धिमान नेताओं और मार्गदर्शकों को समर्पित है, जो इस रहस्य का अध्ययन करते हैं कि प्रकृति कैसे काम करती है और प्रकृति कैसे पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती है?
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