मूकमाटी मीमांसा 3 vol. (Mookmatti - memmamsa)

By: आचार्य विद्यासागर (Acharaya Vidyasagar)Contributor(s): Prabhakar Machva, Ed | Acharya Ramamoorthi Tripati, EdMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Bharatiya Jnan Peet 2007Description: 555 pISBN: 9788126314096 (Set); 9788126314102 (vol 1); 9788126314119 (vol2); 9788126314126 (Vol3)DDC classification: H294.4 Summary: मुनिश्री ने कहा कि मूक माटी के प्रथम खंड में माटी और प्रकृति मां का बेहद सटीक और प्रभावी चित्रण आचार्य विद्यासागर महाराज ने किया है। माटी जब खुद को पद-दलित समझती है और फिर जीवन में मचे कोलाहल से बचने के लिए वह मां प्रकृति से निवेदन करती है तो उस अवस्था में प्रकृति माता द्वारा माटी को माधुर्यमयी नेक सलाह दी जाती है।
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3 vol set

मुनिश्री ने कहा कि मूक माटी के प्रथम खंड में माटी और प्रकृति मां का बेहद सटीक और प्रभावी चित्रण आचार्य विद्यासागर महाराज ने किया है। माटी जब खुद को पद-दलित समझती है और फिर जीवन में मचे कोलाहल से बचने के लिए वह मां प्रकृति से निवेदन करती है तो उस अवस्था में प्रकृति माता द्वारा माटी को माधुर्यमयी नेक सलाह दी जाती है।

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