अमिता (Amita)
Material type: TextPublication details: इलाहाबाद (Allehabad) लोकभारती प्रकाशन (Lokbharathi prakashan) Description: 254 pSubject(s): Hindi novelDDC classification: H891.433 Summary: इस उपन्यास के प्राक्कथन में यशपाल स्वयं इसके मूल मन्तव्य की ओर इशारा करते हैं। ‘विश्व शान्ति के प्रयत्नों में सहयोग देने के लिए मुझे भी तीन वर्ष में दो बार यूरोप जाना पड़ा है। स्वभावतः इस समय (1954–1956) में लिखे मेरे इस उपन्यास में, मुद्दों द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त करने अथवा समस्याओं को सुलझाने की नीति की विफलता का विचार कहानी का मेरुदंड बन गया है।’ ‘अमिता’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में कल्पना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है। कलिंग पर अशोक के आक्रमण की घटना में परिवर्तन करके यशपाल ने इस उपन्यास का केन्द्र कलिंग की बालिका राजकुमारी अमिता को बनाया है। उपन्यास के माध्यम से वे जो सन्देश युद्ध–त्रस्त संसार को देना चाहते हैं, वह उन्हीं के शब्दों में : ‘मनुष्य ने अपने अनुभव और विकास से शान्ति की रक्षा का अधिक विश्वास योग्य उपाय खोज लिया है। यह सत्य बहुत सरल है। मनुष्य अन्तर्राष्ट्रीय रूप में दूसरों की भावना और सदिच्छा पर विश्वास करे, दूसरों के लिए भी अपने समान ही जीवित रहने और आत्म–निर्णय से सह–अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करे। सभी राष्ट्र और समाज अपने राष्ट्रों की सीमाओं में, अपने सिद्धान्तों और विश्वासों के अनुसार व्यवस्था रखने में स्वतन्त्र हों। जीवन में समृद्धि और सन्तोष पाने का मार्ग अपनी शक्ति को उत्पादन में लगाना है, दूसरों को डरा कर और मारकर छीन लेने की इच्छा करना नहीं है।’Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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BK | Hindi | Stack | H891.433 YAS/A (Browse shelf (Opens below)) | Available | 57236 |
इस उपन्यास के प्राक्कथन में यशपाल स्वयं इसके मूल मन्तव्य की ओर इशारा करते हैं। ‘विश्व शान्ति के प्रयत्नों में सहयोग देने के लिए मुझे भी तीन वर्ष में दो बार यूरोप जाना पड़ा है। स्वभावतः इस समय (1954–1956) में लिखे मेरे इस उपन्यास में, मुद्दों द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त करने अथवा समस्याओं को सुलझाने की नीति की विफलता का विचार कहानी का मेरुदंड बन गया है।’ ‘अमिता’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में कल्पना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है। कलिंग पर अशोक के आक्रमण की घटना में परिवर्तन करके यशपाल ने इस उपन्यास का केन्द्र कलिंग की बालिका राजकुमारी अमिता को बनाया है।
उपन्यास के माध्यम से वे जो सन्देश युद्ध–त्रस्त संसार को देना चाहते हैं, वह उन्हीं के शब्दों में : ‘मनुष्य ने अपने अनुभव और विकास से शान्ति की रक्षा का अधिक विश्वास योग्य उपाय खोज लिया है। यह सत्य बहुत सरल है। मनुष्य अन्तर्राष्ट्रीय रूप में दूसरों की भावना और सदिच्छा पर विश्वास करे, दूसरों के लिए भी अपने समान ही जीवित रहने और आत्म–निर्णय से सह–अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करे। सभी राष्ट्र और समाज अपने राष्ट्रों की सीमाओं में, अपने सिद्धान्तों और विश्वासों के अनुसार व्यवस्था रखने में स्वतन्त्र हों। जीवन में समृद्धि और सन्तोष पाने का मार्ग अपनी शक्ति को उत्पादन में लगाना है, दूसरों को डरा कर और मारकर छीन लेने की इच्छा करना नहीं है।’
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