सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (suryakanth Tripati Nirala)
रागविराग (Ragvirag) - Allehabad Lokbharati 2012 - 186 p.
इस कविता-संग्रह का नाम है : राग-विराग। यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है। कहते हैं कि छायावादी कवि यथार्थ की धरती छोड़कर कल्पना के आकाश में विचरण करते थे
Hindi poems
H891.431 / SUR/R
रागविराग (Ragvirag) - Allehabad Lokbharati 2012 - 186 p.
इस कविता-संग्रह का नाम है : राग-विराग। यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है। कहते हैं कि छायावादी कवि यथार्थ की धरती छोड़कर कल्पना के आकाश में विचरण करते थे
Hindi poems
H891.431 / SUR/R