उषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada)

रुकोगी नहीं राधिका (Rukogi nahi radhika) - Delhi Rajkamal prakashan 1984 - 116 p.

यह लघु उपन्यास प्रवासी भारतीयों की मानसिकता में गहरे उतरकर बड़ी संवेदनशीलता से परत-दर-परत उनके असमंजस को पकड़ने का सार्थक प्रयास है। ऐसे लोग, जो जानते हैं कि कुछ साल विदेश में रहने पर भारत में लौटना संभव नहीं होता पर यह भी जानते हैं कि सुख न वहाँ था न यहाँ है।

8126702573


Hindi novel

H891.433 / USH/R

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