नरेश मेहता (Naresh mehta)

संशय की एक रात (Samshay ki ek rath ) - Allehabad Lokbharathi 1999 - 63 p.

'संशय की एक रात' में कवि ने राम के भीतर युद्ध के प्रति संशय पैदा कर एक आधुनिक मनुष्य की चिन्ता प्रकट की है, राम के चरित्र की पुनर्रचना की है, जिसकी सम्भावना राम के चरित्र में है और निश्चय ही यह कृति हिन्दी साहित्य की उपलब्धि है।


Hindi literature

H891.431 / NAR/S

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